फंडामेंटल एनालिसिस (Fundamental Analysis) किसी कंपनी, इंडस्ट्री या इकोनॉमी के आर्थिक स्वास्थ्य का मूल्यांकन करने की एक विधि है। यह निवेशकों को यह तय करने में मदद करता है कि कोई स्टॉक, बॉन्ड या अन्य एसेट खरीदने लायक है या नहीं।
## **फंडामेंटल एनालिसिस करने के स्टेप्स**
### **1. इकोनॉमिक एनालिसिस (Economic Analysis)**
सबसे पहले मैक्रोइकॉनॉमिक फैक्टर्स को समझें:
- **GDP ग्रोथ** – देश की आर्थिक वृद्धि दर
- **इन्फ्लेशन (मुद्रास्फीति)** – महंगाई दर
- **ब्याज दर (Interest Rates)** – RBI की मौद्रिक नीति
- **बेरोजगारी दर (Unemployment Rate)**
- **विदेशी व्यापार (Foreign Trade)** – एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट डेटा
### **2. इंडस्ट्री एनालिसिस (Industry Analysis)**
- **इंडस्ट्री ग्रोथ** – सेक्टर कितना तेजी से बढ़ रहा है?
- **कंपटीशन लेवल** – मार्केट में कितनी कंपटीशन है?
- **गवर्नमेंट पॉलिसीज** – सेक्टर पर सरकारी नियमों का प्रभाव
- **टेक्नोलॉजिकल चेंजेस** – नई टेक्नोलॉजी से इंडस्ट्री पर असर
### **3. कंपनी एनालिसिस (Company Analysis)**
#### **(A) फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स की जाँच**
1. **बैलेंस शीट (Balance Sheet)**
- **Assets (संपत्ति)** – कंपनी के पास कितनी प्रॉपर्टी, मशीनरी, कैश है?
- **Liabilities (दायित्व)** – कंपनी पर कितना कर्ज है?
- **Shareholder’s Equity (शेयरहोल्डर्स की पूँजी)**
2. **प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट (P&L Statement)**
- **रेवेन्यू (Revenue)** – कुल बिक्री
- **एक्सपेंसेज (Expenses)** – खर्चे
- **नेट प्रॉफिट (Net Profit)** – शुद्ध लाभ
3. **कैश फ्लो स्टेटमेंट (Cash Flow Statement)**
- **ऑपरेटिंग कैश फ्लो** – कारोबार से कैश जनरेशन
- **इन्वेस्टिंग कैश फ्लो** – निवेश से आया/गया कैश
- **फाइनेंसिंग कैश फ्लो** – लोन या शेयर इश्यू से कैश
#### **(B) फाइनेंशियल रेश्यो एनालिसिस (Financial Ratios)**
- **प्रॉफिटेबिलिटी रेश्यो (Profitability Ratios)**
- **ROE (Return on Equity)** = (Net Profit / Shareholder’s Equity) × 100
- **ROCE (Return on Capital Employed)** = (EBIT / Capital Employed) × 100
- **वैल्युएशन रेश्यो (Valuation Ratios)**
- **P/E Ratio (Price to Earnings)** = मार्केट प्राइस / EPS
- **P/B Ratio (Price to Book Value)** = मार्केट प्राइस / बुक वैल्यू
- **डेट रेश्यो (Debt Ratios)**
- **Debt-to-Equity Ratio** = टोटल डेट / शेयरहोल्डर्स इक्विटी
- **Interest Coverage Ratio** = EBIT / इंटरेस्ट एक्सपेंस
- **लिक्विडिटी रेश्यो (Liquidity Ratios)**
- **Current Ratio** = करंट एसेट्स / करंट लायबिलिटीज
- **Quick Ratio** = (करंट एसेट्स – इन्वेंटरी) / करंट लायबिलिटीज
### **4. मैनेजमेंट एवं कॉर्पोरेट गवर्नेंस**
- **प्रमोटर्स का ट्रैक रिकॉर्ड** – क्या वे भरोसेमंद हैं?
- **बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स** – क्या अनुभवी लोग हैं?
- **शेयरहोल्डर्स का पैटर्न** – FII, DII, प्रमोटर होल्डिंग
### **5. कंपटिटिव एडवांटेज (Competitive Advantage)**
- **ब्रांड वैल्यू** (जैसे – टाटा, रिलायंस)
- **पेटेंट्स और टेक्नोलॉजी**
- **लो-कॉस्ट प्रोडक्शन**
### **6. वैल्युएशन (Valuation)**
- **DCF (Discounted Cash Flow)** – भविष्य के कैश फ्लो का मूल्य
- **कंपनी का इंट्रिन्सिक वैल्यू** – वास्तविक मूल्य
- **मार्केट प्राइस vs. इंट्रिन्सिक वैल्यू**
## **निष्कर्ष (Conclusion)**
फंडामेंटल एनालिसिस के बाद:
✅ **अंडरवैल्यूड स्टॉक** → खरीदें (यदि इंट्रिन्सिक वैल्यू > मार्केट प्राइस)
❌ **ओवरवैल्यूड स्टॉक** → न खरीदें (यदि मार्केट प्राइस > इंट्रिन्सिक वैल्यू)
इस तरह, फंडामेंटल एनालिसिस आपको एक स्टॉक की वास्तविक कीमत समझने में मदद करता है और लॉन्ग-टर्म निवेश के लिए बेहतर निर्णय लेने में सहायक होता है।
क्या आप किसी खास कंपनी या सेक्टर पर एनालिसिस चाहते हैं?
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